TFM के आधार पर साबुन का वर्गिकरण्
साबुन साबुन को ३ भागो में वर्गीकृत कर सकते हैं:कार्बोलिक साबुन, ट्वायलेट साबुन,और नहाने का साबुन या बाथिंग बारI
१ कार्बोलिक साबुन (CARBOLIC SOAP ) :GRADE 3 SOAP : इस साबुन में TFM का प्रतिशत 50% से 60 % तक होता है.और यह साबुन सबसे घटिया दर्जे का
साबुन होता हैIइसमें फिनायल की कुछ मात्रा होती है जो सामन्यतया फर्श या
जानवरों के शारीर में लगे कीड़े मारने के लिए प्रयुक्त किया जाता
हैIयूरोपीय देशों में इसे एनिमल सोप या जानवरों के नहाने का साबुन भी कहते
हैंIभारत में इस श्रेणी का साबुन लाइफबॉय हैI
२ ट्वायलेट साबुन :GRADE 2 SOAP : यह
गुणवत्ता के आधार पर दूसरे दर्जे का साबुन होता हैIट्वायलेट सोप का उपयोग
सामन्यतया शौच इत्यादि के बाद हाथ धोने के लिए होता हैIइसमें 65 से 78%
TFM होता है.,इससे इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाली हानि कार्बोलिक
साबुन की अपेक्षा कम होती हैIभारत में इस श्रेणी का साबुन लक्स,लिरिल
डिटोल हैI
३ नहाने का साबुन या बाथिंग बार.: GRADE 1 SOAP : गुणवत्ता के आधार पर सर्वोत्तम साबुन है तथा इसका उपयोग स्नान के लिए किया जाता हैIइस साबुन में TFM की मात्रा 75% से अधिक होती हैI
इस साबुन के रसायनों से त्वचा पर होने वाली हानि न्यूनतम होती है. निरमा साबुन या कुछ कंपनिया ही कम मात्रा में ये उत्पाद बनाती हैI
साबुन में झाग के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन सोडियम लारेल सल्फेट से
त्वचा की कोशिकाएं शुष्क हो जाती हैं और कोशिकाओं के मृत होने की संभावना
रहती है.यह आँखों के लए अत्यंत हानिकारक है नहाते समय साबुन यदि आँखों में
चला जाये तो इसी रसायन के असर से हमे तीव्र जलन का अनुभव होता है,त्वचा पर
खुजली और दाद की संभावना होती है.
