मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को मिला जीआई टैग (Gi Tag)
दुनियाभर में ख्याति प्राप्त मध्य प्रदेश के मुरैना की
गजक और रीवा के सुंदरजा आमों ने एक बार फिर प्रसिद्धि हासिल की है। दोनों ही उत्पादों
को जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) प्रदान किया गया है। मुरैना के गजक और रीवा के
आम की पूरे विश्व में मांग है। ये दोनों उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं।
क्या है सुंदरजा आम
सुंदरजा आम रीवा जिले
में अपनी अलग की महक बिखेरता है। इस आम की मिठास का कोई तोड़ नहीं है। यह बिना
रेशा वाला आम है, और एक आम में बाहर अलग-अलग रंग होते हैं। खास बात यह है कि
सुंदरजा आम को शुगर के मरीज भी खा सकते हैं। बताया जाता है कि पहले सुंदरजा आम
केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था। यह राजे-राजवाड़ों की पसंद हुआ करता
था, लेकिन अब कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी बहुतायत मात्रा में इसकी खेती की
जाती है। गोविंदगढ़ के बागों में होने वाला सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग का, जबकि
कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में हल्के हरे रंग का फल होता है। फ्रांस, अमेरिका,
इंग्लैंड सहित अरब देशों में यह निर्यात किया जाता है।
मुरैना की गजक को जानें
मुरैना के गजक बहुत
प्रसिद्ध हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात किए जाते हैं। बताया जाता है कि
चंबल नदी के पानी में कुछ घटकों के कारण इससे एक मिठाई विकसित की गई थी। बाद में
इसे गजक नाम दिया गया। गजक को तिल और गुड़ के साथ तैयार की जाने वाली विधि के साथ
तैयार किया जाता है। अगर सही प्रक्रिया से बनाया जाये तो 5 से 8 किलोग्राम गजक
तैयार करने में लगभग 10-15 घंटे लगते हैं। आटे को तब तक फेंटा जाता है जब तक कि
सभी तिल न टूट जाएं और आटे में अपने तेल को छोड़ दें। मुरैना में आज भी गजक इसी
प्रक्रिया से बनाई जाती है। इसलिए इसकी वैश्विक ख्याति भी है। चंबल अंचल में गजक
सर्दियों के दिनों में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली मिठाई है। यह सेहत के लिए
फायदेमंद है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। मुरैना की गजक के जिलेभर में एक
हजार से ज्यादा दुकानदार हैं। सर्दी के चार महीनों के दौरान चार हजार से ज्यादा
मजदूरों को इससे रोजगार मिलता है। बताया जाता है कि मुरैना की गजक का कारोबार 200
करोड़ रुपये से ज्यादा है।
जीआई टैग
(Gi Tag) क्या है?
Gi tag का पूरा नाम
Geographical Indication Tag है
जिसे हिंदी में ”भौगोलिक संकेत” कहा जाता है।
साल 2003 में जीआई टैग को शुरू
किया गया था। यह वस्तुओं के उत्पादन और उनको पहचान और विशेषता दिलाने के लिए दिया
जाता है। भारत में जी आई टैग ऐसी सभी
वस्तुओं को दिया जाता है जिनकी अपनी एक विशेष खासियत होती है। यह टैग विभिन्न
राज्यों या क्षेत्रों में पैदा होने वाली फसलों या वहां पर तैयार किए जाने वाले
उत्पादों को विश्व में अपनी विशेष पहचान दिलाने के लिए प्रदान किया जाता है।
1999 में बना अधिनियम
संसद ने
उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में अधिनियम पारित किया।
जिसे अंग्रेजी में Geographical Indications of Goods (Registration and
Protection) Act, 1999 कहा गया।
इसे 2003
में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग
देने का सिलसिला शुरू हुआ।
एक भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग एक उद्यमी या किसी विशेष
क्षेत्र / राज्य / देश के व्यापारियों के समूह को अनुकरणीय गुणवत्ता के सामान बनाने
के लिए दिया जाता है। ये टैग वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम,
1999 के अनुसार जारी किए गए हैं। हालाँकि, इसे 15 सितंबर 2003 को लागू किया गया था।
वर्ष 2019 में, सरकार द्वारा चार नए GI टैग पेश किए गए।
इन उत्पादों को
दिया जाता है GI Tag
नि.लि. उत्पादों को GI TAG दिया जाता है –
- खेती
से जुड़े उत्पाद /कृषि उत्पाद (जैसे चावल ,गुड़ ,चाय आदि)
- प्राकृतिक
उत्पाद
- कपडा
- हैंडीक्राफ्ट्स (जैसे साडी ,चद्दर
, दन्न आदि)
- उत्पाद ( जैसे चमड़ा ,फेनी ,इत्र
आदि)
- खाद्य
सामग्री (नमकीन
,पेठा ,लाडू ,रसगुल्ला ,मुर्गा आदि )
भौगोलिक संकेतक सूची(Gi Tag List)
साल 2004 से मार्च 2005 तक GI टैग दिया गया –
1. दार्जिलिंग चाय (शब्द और लोगो) -कृषि -पश्चिम बंगाल
2. अरनमुला कन्नड़ -हस्तशिल्प -केरल
3. पोचमपल्ली इकत -हस्तशिल्प -तेलंगाना
2005 से – मार्च 2006 तक जीआई टैग सूची
1. सलेम फैब्रिक -हस्तशिल्प -तमिलनाडु
2. चंदेरी साड़ी -हस्तशिल्प -मध्य प्रदेश
3. सोलापुर चादर -हस्तशिल्प -महाराष्ट्र
4. सोलापुर टेरी तौलिया- हस्तशिल्प -महाराष्ट्र
5. कोटपाड हथकरघा कपड़ा -हस्तशिल्प -ओडिशा
6. मैसूर सिल्क हैंडीक्राफ्ट- कर्नाटक
7. कोटा डोरिया हस्तशिल्प -राजस्थान
8. मैसूर अगरबत्ती निर्मित -कर्नाटक
9. कांचीपुरम सिल्क -हस्तशिल्प -तमिलनाडु
10.
भवानी जमक्कलम -हस्तशिल्प -तमिलनाडु
11.
कुल्लू शॉल -हस्तशिल्प -हिमाचल प्रदेश
12.
बिदरीवेयर हस्तशिल्प कर्नाटक
13.
मदुरै सुंगुडी हस्तशिल्प तमिलनाडु
14.
उड़ीसा इकत हस्तशिल्प उड़ीसा
15.
चन्नपटना खिलौने और गुड़िया हस्तशिल्प कर्नाटक
16.
मैसूर रोजवुड इनले हैंडीक्राफ्ट -कर्नाटक
17.
कांगड़ा चाय कृषि -हिमाचल प्रदेश
18.
कोयंबटूर वेट ग्राइंडर निर्मित -तमिलनाडु
19.
श्रीकालहस्ती कलमकारी हस्तशिल्प -आंध्र प्रदेश
20.
मैसूर चंदन का तेल -निर्मित -कर्नाटक
21.
मैसूर चंदन साबुन -कर्नाटक
22.
कसुती कढ़ाई हस्तशिल्प- कर्नाटक
23.
मैसूर पारंपरिक पेंटिंग हस्तशिल्प -कर्नाटक
24.
कुर्ग संतरा कृषि -कर्नाटक
अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक GI टैग सूची –
1. कंधमाल हलदी कृषि ओडिशा
2. ओडिशा रसगुल्ला खाद्य सामग्री ओडिशा
3. कोडाइकनाल मलाई पोंडु कृषि तमिलनाडु
4. पांडम हस्तशिल्प मिजोरम
5. नोगोतेखेर हस्तशिल्प मिजोरम
6. हमाराम हस्तशिल्प मिजोरम
7. पलानी पंचमीर्थम खाद्य सामग्री तमिलनाडु
8. तवल्ह्लोपुआन हस्तशिल्प मिजोरम
9. मिजो पुंचेई हस्तशिल्प मिजोरम
10.
गुलबर्गा तूर दाल कृषि कर्नाटक
11.
तिरूर सुपारी (तिरुर वेट्टीला) कृषि केरल
12.
आयरिश व्हिस्की निर्मित आयरलैंड
13.
खोला मिर्च कृषि गोवा
14.
इडु मिश्मी वस्त्र हस्तशिल्प अरुणाचल प्रदेश
15.
डिंडीगुल ताले निर्मित तमिलनाडु
16.
कंडांगी साड़ी हस्तशिल्प तमिलनाडु
17.
श्रीविल्लिपुत्तूर पालकोवा खाद्य सामग्री तमिलनाडु
18.
काजी नेमू कृषि असम
19.
असम कृषि असम का चोकुवा चावल
20.
कोविलपट्टी कदलाई मित्तई खाद्य सामग्री -तमिलनाडु
21.
चक – हाओ कृषि भारत (मणिपुर और नागालैंड)
22.
गोरखपुर टेराकोटा हस्तशिल्प उत्तर प्रदेश
2020 से – मार्च 2021 तक
1. कश्मीर केसर कृषि जम्मू और कश्मीर
2. तंजावुर नेट्टी वर्क्स हैंडीक्राफ्ट तमिलनाडु
3. अरुंबवुर लकड़ी की नक्काशी हस्तशिल्प तमिलनाडु
4. तेलिया रुमाल हस्तशिल्प तेलंगाना
5. सोहराई – खोवर चित्रकारी हस्तशिल्प झारखण्ड
जीआई टैग (अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक)
1. चुनार ग्लेज़ पॉटरी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
2. सोजत मेहंदी – कृषि (राजस्थान)
3. करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग-हस्तशिल्प (तमिलनाडु)
4. कल्लाकुरिची लकड़ी पर नक्काशी – हस्तशिल्प (तमिलनाडु)
5. उत्तराखंड के भोटिया दान- हस्तशिल्प (उत्तराखंड)
6. जुडिमा-निर्मित (असम)
7. चियोस मस्तीहा – निर्मित (ग्रीस)
8. गोर्गोन्जोला -खाद्य सामग्री (इटली)
9. ब्रुनेलो डि मोंटालिनो – निर्मित (इटली)
10.
लैम्ब्रुस्को डि सोरबारा -निर्मित (इटली)
11.
लैंब्रसको ग्रास्पारोसा डि कास्टेलवेट्रो-निर्मित (इटली)
12.
बालाघाट चिन्नौर-कृषि (मध्य प्रदेश)
13.
कुट्टियाट्टूर आम (कुट्टियाट्टूर मंगा) –
कृषि (केरल)
14.
मोंटेपुलसियानो डी’अब्रुज़ो – निर्मित (इटली)
15.
पिथौरा – हस्तशिल्प (गुजरात)
16.
मंजूषा कला – हस्तशिल्प (बिहार)
17.
हरमल मिर्च कृषि (गोवा)
18.
एडयूर मिर्च -कृषि (केरल)
19.
उत्तराखंड ऐपन – हस्तशिल्प (उत्तराखंड)
20.
मुनस्यारी रज़मा – कृषि (उत्तराखंड)
21.
उत्तराखंड रिंगल क्राफ्ट – हस्तशिल्प (उत्तराखंड)
22.
उत्तराखंड टम्टा उत्पाद-हस्तशिल्प (उत्तराखंड)
23.
उत्तराखंड थुलमा-हस्तशिल्प (उत्तराखंड)
24.
मिंडोली केला – कृषि (गोवा)
25.
बनारस जरदोजी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
26.
मिर्जापुर पितल बार्टन- हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
27.
बनारस लकड़ी पर नक्काशी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
28.
बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
29.
कुमाऊं च्युरा तेल – कृषि (उत्तराखंड)
30.
गोअन खाजे – खाद्य सामग्री (गोवा)
31.
रतौल आम – कृषि (उत्तर प्रदेश)
32.
तामेंगलोंग संतरा – कृषि (मणिपुर)
33.
चंबा चप्पल – हस्तशिल्प (हिमाचल प्रदेश)
34.
मऊ साड़ी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)
35.
लाहौली बुना हुआ जुराबें और दस्ताने – हस्तशिल्प (हिमाचल प्रदेश)
36.
कन्याकुमारी लौंग – कृषि (तमिलनाडु)
37.
हाथी मिर्च – कृषि (मणिपुर)
38.
नागा ककड़ी – कृषि (नागालैंड)
39.
Zatecký chmel’ – निर्मित (चेक गणराज्य)
40.
मुंचनर बियर ने जर्मनी का निर्माण किया
41.
महोबा देसावरी पान – कृषि भारत (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)
42.
टोस्कानो-निर्मित (इटली)
43.
मिजो अदरक – कृषि (मिजोरम)
44.
दल्ले खुरसानी – कृषि (भारत सिक्किम और पश्चिम बंगाल)
45.
Conegliano Valdobbiadene Prosecco – निर्मित (इटली)
46.
फ्रांसियाकोर्टा – निर्मित (इटली)
47.
Chianti – निर्मित (इटली)
48.
बेयरिस्चेस बियर – निर्मित (जर्मनी में)
49.
आयरिश क्रीम / आयरिश क्रीम लिकर – निर्मित (आयरलैंड)
50.
नरसिंहपेट्टई नागस्वरम – हस्तशिल्प (तमिलनाडु)


