एशिया की मानवनिर्मित सबसे बड़ी झील- गाँधीसागर बाँध
चंबल नदी का इतिहास और वर्तमान परिस्थिति
एशिया की मानवनिर्मित सबसे बड़ी झील हुई 62 साल की-19/11/2022
19 November
1960
।। जय चम्बल
।।।
गाँधीसागर बाँध
का दुर्लभ दृश्य
चम्बल (चंबल) नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। चम्बल नदी का प्राचीन नाम चर्मण्यवती। इसका उद्गम
स्थल जानापाव की पहाड़ी (मध्य प्रदेश) है। यह दक्षिण में महू शहर के, इन्दौर (इंदौर) के पास, विन्ध्य
(विंध्य) रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। यह नदी मध्य
प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ बांगचु पॉइंट महू जो कि लगभग 616 मीटर ऊँची है, से निकलती
है।
यह एक बारहमासी
नदी है। चम्बल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के
नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती
है। चम्बल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य
में भिण्ड (भिंड) और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पाँच नदियों के सङ्गम (संगम) समाप्त
होता है।
चम्बल नदी पर गांधी सागर,
राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा
बैराज बांध बने हैं। जिनमें से सबसे पहला, और प्रमुख बांध गाँधीसागर बाँध
हैं। गाँधीसागर बाँध का उद्घाटन सन 1960 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर
लाल नेहरू जी के द्वारा किया गया था। इस बांध के बाद से ही यह नदी राजस्थान की सीमा,
चित्तोड़ जिले में प्रवेश करती हैं।
राजस्थान में पहला बांध राणाप्रताप सागर बांध है जो कि रावतभाटा में
स्थित है। उसके बाद जवाहर सागर और फिर कोटा का कोटा बैराज है।
यह नदी राजस्थान के कोटा, बूँदी, सवाई माधोपुर व धौलपुर ज़िलों में
बहती हुई उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के मुरादगंज स्थान में यमुना नदी में मिल जाती
है। उत्तर प्रदेश में बहते हुए चंबल नदी 900 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
लम्बाई
चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है। यह राजस्थान में कुल 376 किलोमीटर
तक बहती है।
जल प्रपात
प्रसिद्ध चूलीय जल प्रपात चम्बल (चंबल) नदी चित्तौड़गढ़ मे है चोलिया जलप्रपात की
ऊंचाई 18 मीटर है और यह राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। कुल लम्बाई 135। राजस्थान
की औधोगिक नगरी कोटा इस नदी के किनारे स्थित है।
सहायक नदियाँ
बनास नदी, क्षिप्रा नदी, मेज , बामनी, सीप काली सिंध, पार्वती, छोटी काली सिंध, कुनो, ब्राह्मणी, परवन नदी,आलनिया,गुजाली इत्यादि चम्बल की सहायक नदियाँ हैं।
चंबल नदी, (राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर) भानपुरा : मप्र के मंदसौर जिले में भानपुरा
से 30 km दूर चंबल नदी पर बना गांधीसागर बांध इन दिनों चर्चा में है। क्योंकि अब यह
उदयपुर से उज्जैन तक पर्यटन का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है। गांधीसागर को पर्यटन का
दर्जा दिलाने के लिए प्रशासन लंबे समय से प्रयासरत है।
यह नदी तीन राज्यो – मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में बहती है
महाभारत काल से जुड़ा है चंबल का इतिहास
महाकाव्य महाभारत में चंबल का उल्लेख चर्मण्यवती के रूप में किया
गया है। ऐसा माना जाता था कि यह राजा रंतिदेव द्वारा बड़ी संख्या में बलिदान किए
गए जानवरों के रक्त का परिणाम था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, द्रौपदी ने नदी को
श्राप दिया था जिसके कारण लोग इसका उपयोग नहीं करते थे। शायद इसी वजह से इस नदी को
पवित्र नदियों का दर्जा नहीं दिया जाता है लेकिन इसकी कहानी अत्यंत दिलचस्प है।
चंबल आज देश की सबसे प्राचीन नदियों में से एक है और यह पानी के जानवरों की कई
प्रजातियों के लिए एक प्रवास के रूप में सामने आई है।
जानिए गांधी सागर बांध के बारे में-
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योजना बनी- मार्च 1950 में।
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शिलान्यास मार्च 1954 में।
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शिलान्यास किया- पं. नेहरू ने।
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योजना पूरी -19 नवंबर 1960 में।
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बनने में लगे थे 6 साल।
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लागत आई - 13.60 करोड़ रुपए।
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जल विद्युत गृह बना- 4.79 करोड़ में।
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जल ग्रहण क्षेत्र- 23025 वर्ग किमी है।
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बांध की लंबाई – 1685 फीट।
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बांध की ऊंचाई – 204 फीट।
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जलाशय का क्षेत्रफल – 660 वर्ग किमी।
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जल निकासी द्वार –शिखर द्वार 10,निचले द्वार 9।
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जलाशय में कुल जल भंडार – 7164.38 घनमीटर।
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अभी 564 जीडब्ल्यूएच कुल ऊर्जा का उत्पादन।
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करीब 427.000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई।
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सात नदियां मिलती हैं।
सबसे अधिक नुकसान झेला नीमच जिले ने
बांध के निर्माण के समय अविभाजित मंदसौर जिले के 228 गांव डूब के कारण
खाली कराए थे। विभाजन के बाद 169 गांव नीमच व 59 गांव मंदसौर जिले के प्रभावित हुए।
नीमच के रामपुरा में बांध से कई लोग विस्थापित हुए, लेकिन कई इलाकों का भूमिगत जलस्तर
भी बढ़ा।
सबसे ज्यादा
फायदे में रहा राजस्थान
बांध से सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान को हुआ है। वहां कई शहर में पेयजल
की पूर्ति हो रही है। रावत भाटा का परमाणु केंद्र बांध के पानी पर निर्भर है।
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इसको कामधेनु के साथ-साथ प्राचीन समय में
चर्मण्वती नदी के नाम से भी जाना जाता था !यह नदी अपने उद्गम स्थल से 325 किलोमीटर
की दूरी तक एक लंबे, संकरे और तीव्र गर्त में होकर बहती है!यह उद्गम स्थल से
निकलकर उत्तर पूर्व की ओर बहकर मध्यप्रदेश के भिण्ड व मुरैना जिलों में बहती
हुई चौरासीगढ के समीप आती है !
यहां यह 884 मीटर की ऊंचाई से 50 मीटर की ऊंचाई
तक गिरती है!
यह नदी चौरासीगढ़ से कोटा तक 113 किलोमीटर लम्बी
गार्ज में बहती हुई आती है!
यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई
माधोपुर, करौली, धौलपुर तक बहती है!
राजस्थान में प्रवेश करते समय इसका तल 300 मीटर
चौड़ा हो जाता है !
कोटा संभाग में भैंसरोडगढ़ के समीप इसमें बामनी
नदी आकर मिलती है !
यहां से 6 किलोमीटर की दूरी पर ही 18 मीटर की ऊंचाई
से गिरने वाला चुलिया जलप्रपात अवस्थित है !
उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई यह कोटा और बूंदी
उसके पश्चात सवाईमाधोपुर, करौली और कोटा के बीच सीमा बनाती है!
इसके अलावा यह राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच भी
सीमा-रेखा बनाती है!
इसकी सहायक नदियों में बनास नदी रामेश्वर धाम
नामक स्थान पर कालीसिंध से नानेरा नामक स्थान पर आकर मिलती है, इसके अनेक
छोटी व सहायक नदियां भी इसमें मिलती है !
कोटा से 65 किलोमीटर की दूरी पर पाली नामक स्थान
पर पार्वती नदी इसमें आकर मिलती है!
इस नदी का प्रवाह राजस्थान में लगभग पठारी एवं
मैदानी है
इस क्षेत्र में चंबल की मिट्टी का जमाव है !इस
जमाव से यहा भूमि उबड़-खाबड़ हो गई है !अनेक स्थानों पर गहरी घाटियां बन गई है
!संपूर्ण भूमि बीहड़ क्षेत्र है !
चम्बल नदी उत्खात् स्थलाकृति का सर्वश्रेष्ठ
उदाहरण है ! [Badland Topography] जो खेती के लिए सर्वथा अनुपयुक्त है !
अपने उद्गम स्थल से यमुना में मिलने तक यह नदी
965 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात मुरादगंज के समीप यमुना में मिल जाती है !
चंबल नदी राजस्थान में 135 किलोमीटर की दूरी में
बहती है
वह पालिया से पिनाहट तक व आगे तक यह राजस्थान व
मध्यप्रदेश के मध्य 241 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा बनाती है !
यह नदी यमुना में मिलने से पूर्व उत्तर प्रदेश व
मध्यप्रदेश के मध्य सीमा रेखा बनाती है !
इसका राजस्थान राज्य में कुल अपवाह क्षेत्र
19500 वर्ग किलोमीटर है
राजस्थान व मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास में
केंद्रीय स्थान रखने वाली चंबल नदी पर निर्मित गांधी सागर, जवाहर सागर,
राणा प्रताप सागर बांध व कोटा बैराज बनाकर सिंचाई व जल विद्युत की सुविधा
प्राप्त की जाती है!
विशेष राजस्थान के संदर्भ में
केशवराय पाटन के पास इसका पाट (चौड़ाई का
विस्तार)
अधिकतम एवं गहराई भी अधिक होती है
इस पर भैंसरोडगढ़ के निकट चुलिया प्रपात है !
भैंसरोडगढ़ के पास इसमें बामनी नदी मिलती है !
राजस्थान की चंबल घाटी में कंदराओं का क्षेत्रफल
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Kota जिले में – 1,24,600 हैक्टेयर
बूंदी जिले में – 8600 हैक्टेयर
झालावाड़ जिले में – 6, 900 हेक्टेयर
कुल – 2,17,500 हैक्टेयर!
राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन इसी के
द्वारा किया जाता है
यह राजस्थान की बारहमासी नदी है !
सर्वाधिक जल ग्रहण क्षेत्र इस नदी का है !
इसी नदी के क्षेत्र (सवाईमाधोपुर, करौली,
धौलपुर) को डांग क्षेत्र भी कहा जाता है !
डांग क्षेत्र सर्वाधिक सवाईमाधोपुर में व
प्रतिशतता के आधार पर सर्वाधिक धौलपुर में है !
डांग की रानी – करौली को कहा जाता है !
विशेष सहायक नदियां
ट्रिक
– बाकु में बचा पाका ही आलनिया है !
बा – बामनी नदी
कु – कुराल नदी
मे – मेज नदी
ब – बनास नदी
चा – चाकण नदी
पा – पार्वती नदी
का – कालिसिंध नदी
ही – silent
आलनिया नदी









