राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 से लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 भारतीय शिक्षा
की विकास विकास यात्रा का क्रम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 (National Policy on Education
1968)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 स्वतन्त्र भारत की
प्रथम शिक्षा नीति थी। कोठारी आयोग 1964 के सुझावों को प्रभावशाली रूप से लागू
करने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 को क्रियान्वित किया गया।
इसमें निम्नलिखित सिद्धांत हैं –
1.1968
की नीति में अनुच्छेद 45 को लागू करने का प्रावधान किया।
2.1968
की नीति ने अध्यापकों का स्तर, वेतन तथा शिक्षा संतोषजनक निर्धारित करने के सुझाव
दिये।
3.राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1968 त्रि – भाषा सूत्र लागू करने की संस्तुति की।
4.शिक्षा
में अवसरों के सामान्यीकरण पर बल दिया गया।
5.सभी
स्तरों पर प्रतिभावों को खोजने का प्रयास किया गया।
6.राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1968 में कार्य अनुभव तथा राष्ट्रीय सेवा को बढ़ावा देने का उल्लेख
किया गया।
7.राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1968 में विज्ञान तथा अनुसंधान शिक्षा को प्राथमिकता दी गयी।
8.राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1968 में कृषि शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया।
9.राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1968 ने किताबों के उत्पादन, व्यवस्थित आकड़े, उनकी लागत तथा सुलभता पर
ध्यान देना सुनिश्चित किया।
10. राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1968 ने परीक्षा में विश्वसनीयता, वैद्यता तथा मूल्यांकन को सुचित्तपूर्ण ढ़ंग से
लागू करने पर बल दिया।
11. माध्यमिक शिक्षा को
सामजिक परिवर्तन का एक प्रमुख शाधन माना तथा इस स्तर पर सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर
दिया।
12. राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1968 ने विश्वविद्यालयी शिक्षा में छात्रों की बढ़ती संख्या के सापेक्ष प्रयोगशाला,
पुस्तकालय, कर्मचारी तथा अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाये।
13. विश्वविद्यालय शिक्षा
में तथा प्रौढ़ा शिक्षा में पत्राचार को बढ़ावा दिया जाये।
14. प्रौढ़ शिक्षा तथा
साक्षरता के क्षेत्र में विशेष कार्य किये जाये।
15. विद्यालयों में बालकों
हेतु खेलकूद के लिए व्यवस्था तथा असंसाधन उपलब्ध कराये जाये।
16. अल्पसंख्यकों की शिक्षा
में अभिरुचि बढ़ाने हेतु प्रयत्न किये जाये।
17. शैक्षिक ढांचा को 10 + 2 + 3 को समान रूप से पूरे देश में लागू
किया जाये।
राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1986 (National Policy on Education 1986)
सन्
1964 में भारतीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया। आयोग ने अपना प्रतिवेदन 1966
में प्रस्तुत किया। आयोग ने अपने प्रतिवेदन में भारत सरकार को पूरे देश में
समान शिक्षा संरचना के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण करने के लिए कहा।
आयोग की सिफारिशों पर चर्चा हुई और सन् 1968 में भारत सरकार ने यह स्वीकार किया कि
देश के आर्थिक, सांस्कृतिक व राष्ट्रीय विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का
निर्माण करना अति आवश्यक है। इसीलिए भारतीय शिक्षा आयोग के प्रतिवेदन को कुछ
संशोधनों के पश्चात् इसी के आधार पर भारत सरकार ने 24 जुलाई 1968 को स्वतंत्र भारत
की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NATIONAL EDUCATION
POLICY)की घोषणा की तथा इस पर अमल होना प्रारम्भ हो गया।
मार्च
1977 में केंद्र में जनता दल की सरकार बनी इस सरकार के बनते ही नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति का निर्माण हुआ तथा 1979 में इसे घोषित कर दिया गया। इस शिक्षा नीति
को संसद में पास होने के बाद मई 1986 में इसे प्रकाशित किया गया। तथा इसकी
कार्ययोजना को भी प्रकाशित किया गया। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NATIONAL EDUCATION POLICY)1986 पहली
नीति है जिसमें नीति के साथ साथ उसको पूरा करने की योजना भी प्रस्तुत की
गयी।
· इस नीति का उद्देश्य
असमानताओं को दूर करने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित
जाति समुदायों के लिये शैक्षिक अवसर की बराबरी करने पर विशेष ज़ोर देना था।
· इस नीति ने प्राथमिक
स्कूलों को बेहतर बनाने के लिये "ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड" लॉन्च किया।
· इस नीति ने इंदिरा
गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ‘ओपन यूनिवर्सिटी’
प्रणाली का विस्तार किया।
· ग्रामीण भारत में जमीनी
स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधी के दर्शन पर
आधारित "ग्रामीण विश्वविद्यालय" मॉडल के निर्माण के लिये नीति का
आह्वान किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NATIONAL EDUCATION POLICY)1986
के मूल तत्त्व इस प्रकार हैं-
1) पूरे देश में 10+2+3 शिक्षा संरचना लागू
की जाएगी।
2) प्राथमिक शिक्षा 6 से 14 वर्ष की आयु तक
निशुल्क एवं अनिवार्य उपलब्ध कराई जाएगी।
3) प्राथमिक शिक्षा में अपव्यय पर रोक लगाई
जाएगी।
4) स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए
स्त्री निरक्षरता उन्मूलन तथा व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण पर बल दिया जाएगा।
5)अल्पसंख्यको की शिक्षा पर गुणात्मक और
सामाजिकता की दृष्टि से विशेष ध्यान दिया जायेगा।
6)विकलागों की शिक्षा के लिए विशेष प्रयास
किए जायेंगे।
7)गति निर्धारक विद्यालय प्रतिभाशाली बच्चों
के विकास के लिए खोले जाएंगे।
8)उच्च माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक
पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जाएगा।
9)कार्यानुभव को प्रत्येक स्तर की शिक्षा पर
अनिवार्य किया जाएगा।
10) प्रौढ़ शिक्षा की उचित व्यवस्था की
जाएगी।
11)तकनीकी और प्रबन्ध शिक्षा सस्थाओं को अधिक
सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
12) शिक्षा के द्वारा मूल्यों विकास किया
जाएगा।
13)गणित व विज्ञान की शिक्षा के लिए आधुनिक
तकनीकी उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी।
13) पुस्तकों की गुणवत्ता में सुधार, लेखन को
प्रोत्साहन, पुस्तकालयों आदि की उचित व्यवस्था की जाएगी।
14)शिक्षक का चयन योग्यता, वस्तुनिष्ठता तथा
व्यावहारिकता के आधार पर किया जाएगा।
संशोधित
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 Revised National Policy on Education 1992
इस समिति ने 26 दिसंबर 1990 को
ही अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत कर दी। जब केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की
बैठक 1 मार्च 1991 को हुई तब रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया गया।
किंतु केंद्रीय शिक्षा सलाहकार
बोर्ड के अधिकतर सदस्य इस समीक्षा से संतुष्ट नहीं थे। इसलिए सरकार ने राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1986 का मूल्यांकन करने के लिए एक बार फिर से समिति का गठन 1992 किया
इस बार इस समिति का अध्यक्ष
आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जनार्दन रेडी को बनाया गया।
समिति के द्वारा 1986 राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल्यांकन उसकी कार्य योजना का
अध्ययन करके
अपनी रिपोर्ट को जनवरी 1992 में
सौंप दिया। उसके बाद केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने उस रिपोर्ट का अध्ययन किया
और यह निष्कर्ष निकाला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बहुत ही कम संशोधन की
आवश्यकता है।
इस प्रकार से भारत सरकार (Indian
Govt) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को ही संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992
में परिवर्तित करके लागू कर दिया।
संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1992 में सबसे पहला मुद्दा शिक्षा व्यवस्था था कि संपूर्ण देश में शैक्षिक संरचना
(Educational structure) किस प्रकार की होनी चाहिए।
इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1992 के अंतर्गत सारे देश में एक ही प्रकार की शिक्षा व्यवस्था (Education system)
10+2+3 को लागू किया गया।
जिसमें पहले 5 वर्ष प्रारंभिक
स्तर के अगले 3 वर्ष उच्च प्राथमिक स्तर के तथा इसके पश्चात के 2 वर्ष हाई स्कूल
तथा अगले 2 वर्ष हायर सेकेंडरी तथा अगले 3 वर्ष स्नातक स्तर के होंगे यही देश के
हर एक राज्य में शिक्षा संरचना लागू की जाएगी।
साक्षरता मिशन के माध्यम से
निरक्षरता को दूर करने के लिए प्रोढ़ शिक्षा का प्रावधान भी इस शिक्षा नीति में रखा
गया। 15 से 35 आयु वर्ग के समस्त लोगों को साक्षरता अभियान के तहत जोड़ दिया
जायेगा
और विभिन्न साधनों के द्वारा
केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार के साथ राजनीतिक दलों विभिन्न प्रकार के सरकारी और
गैर सरकारी संगठनों जनसंचार माध्यम कई प्रकार की शैक्षिक संस्थाओं
शिक्षकों छात्रों और युवाओं को
साक्षरता मिशन में तत्परता दिखाने के लिए प्रेरित किया जायेगा। जिससे साक्षरता
कार्यात्मक ज्ञान कौशल तथा शिक्षार्थियों में सामाजिक एवं आर्थिक वास्तविकता की
समझ उत्पन्न हो सके तथा यह एक
बड़ा वर्ग है जो निरक्षरता के अंधेरे में है, वह भी साक्षरता के उजियारे में अपनी
चमक बिखेर सके।
साक्षरता अभियान (Literacy
campaign) के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के विकास कार्यक्रमों में सभी प्रकार के
सहयोगियों का विशेष महत्व होता है।
जो सभी राष्ट्रीय लक्ष्यों को
जैसे निर्धनता को दूर करना राष्ट्रीय एकता जागृत करना पर्यावरण का संरक्षण करना
है। छोटे परिवारों को आदर्श परिवार तथा उनका पालन पोषण में मदद करना।
महिलाओं की समानता के लिए लड़ना,
प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण और स्वास्थ्य आदि पर ध्यान देना आदि में सभी अपनी
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह लोगों को सांस्कृतिक सृजन
शीलता का संवर्धन और विकास प्रक्रियाओं में उनका उत्तरदायित्व समझते हैं, जिसमें
उन सभी का विकास भी सम्मिलित होता है।
जो वर्ग प्राथमिक शिक्षा प्राप्त
कर चुके हैं, उनके साक्षरता को और अधिक उन्नत तथा स्थायी बनाया जाना चाहिए
उनको योग्य बनाया जाना चाहिए।
उनके रहन-सहन और कार्य करने की
दशा उनकी उन्नति और विचार तथा साक्षरता सतत कार्यक्रम में नवयुवकों को भागीदारी
प्रदान की जाएगी इस कार्यक्रम में वे निम्न प्रकार से सम्मिलित होंगे:-
मजदूर वर्ग के लोगों को अशिक्षित
लोगों को विभिन्न प्रकार के संगठन में कार्य करने वाले सरकारी गैर सरकारी श्रमिकों
को शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
देश में सरकारी और गैर सरकारी
पुस्तकालयों और वाचनालयों को अधिक सुधार तथा विकसित किया जाना चाहिए।
दूरस्थ शिक्षा (Distance
education) के कार्यक्रम होंगे, जन शिक्षा, समूह शिक्षा, रेडिओ, दूरदर्शन, तथा
फिल्मो के माध्यम से दी जाएगी।
प्रारंभिक शिक्षा Primary
education
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के
अंतर्गत प्रारंभिक शिक्षा में निम्न बातों पर विशेष बल दिया गया है:-
सार्वभौमिक प्रवेश और नामांकन,
14 वर्ष के आयु वाले सभी छात्र-छात्राओं का सार्वभौमिक टिकाव, छात्र-छात्राओं को
शिक्षा ग्रहण करने के लिए आवश्यक स्तर प्राप्त कराने के लिए तथा छात्र-छात्राओं को
योग्य बनाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार।
विद्यालय में सुविधाएँ Facilities
in the school
सभी प्रकार के प्राथमिक
विद्यालयों में आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए। ऑपरेशन ब्लैक
बोर्ड के द्वारा प्रत्येक विद्यालय में 3 बड़े कमरे जो सभी प्रकार के मौसम में
उपयोग करने लायक हों, कमरों में
ब्लैकबोर्ड, मानचित्र और चार्ट के साथ खिलौने हो, प्राथमिक स्तर के बच्चों को
सीखने के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो, इसके साथ ही पुस्तकालय की भी व्यवस्था
होनी चाहिए।
ऐसे विद्यालयों में कम से कम एक
विद्यालय में 3 शिक्षक अवश्य होंगे छात्र-छात्राओं की संख्या शीघ्र बढ़ती है तो और
शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
भविष्य में चुने गए शिक्षकों में
50% महिला शिक्षिकाएँ होंगी। जबकि विद्यालय भवनों के निर्माण में और मरम्मत में
जवाहर योजना की निधियों का उपयोग किया जाएगा।
अनौपचारिक शिक्षा Informal
education
औपचारिक शिक्षा उन
छात्र-छात्राओं के लिए होगी जो छात्र-छात्राएँ स्कूल छोड़ चुके हैं, या फिर स्कूल
रहित क्षेत्रों में रह रहे हैं, या वे छात्र छात्राएँ जो कोई भी काम करने के कारण
विद्यालय नहीं आ सकते
उन छात्र-छात्राओं के क्षेत्रों
में अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रम विस्तृत किए जाएंगे। अनौपचारिक शिक्षा के चलाने
की जिम्मेदारी स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ ही पंचायती राज संस्थाओं की होगी।
इन संस्थाओं को समय के साथ धन और
शिक्षण सामग्री की भी व्यवस्था की जाएगी।
एक संकल्प A resolution
एक संकल्प के तहत यह सुनिश्चित
किया जाना होगा कि भारत का 21 वीं सदी में पहुँचने से पूर्व ही 14 वर्ष तक के सभी
छात्र छात्राओं को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जा सकेगी।
माध्यमिक शिक्षा Secondary
education
माध्यमिक शिक्षा में विशेषकर
विज्ञान, वाणिज्य व्यावसायिक धाराओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की
लड़कियों के नामांकन पर अधिक बल दिया जाएगा
और उन्हें विस्तृत किया जाएगा।
इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद पुनर्गठित की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता
को विकसित किया जाएगा।
माध्यमिक स्तर पर कंप्यूटर
साक्षरता (Computer literacy) भी प्रदान की जाएगी जिससे बच्चे आने वाले समय में
तकनीकी रूप से भी शिक्षित हो सकेंगे।
खुला विश्वविद्यालय और दूरस्थ
अध्ययन Open University and Distance Learning
इसके अंतर्गत 1985 में स्थापित
किया गया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (Indira Gandhi National
Open University) को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
तथा राज्यों में खुले
विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान होगी। जबकि राष्ट्रीय खुले विद्यालयों को भी
अधिक मजबूत किया जाएगा और उन्हें सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
नवोदय विद्यालय की स्थापना
Establishment of Navodaya Vidyalaya
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 के
अंतर्गत गरीब प्रतिभाशाली छात्रों के लिए नवोदय विद्यालय की स्थापना की जाएगी।
जिसमें छात्रों के लिए शिक्षा के साथ ही रहने खाने की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी।
इन विद्यालयों में छात्र कक्षा
पांचवी के बाद प्रवेश ले सकेंगे तथा कक्षा आठवीं पास करने के बाद अन्य राज्यों में
शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा सकेंगे जिससे उनमें राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित
होगी।
डिग्री को नौकरी से अलग Degree
out of job
मापन और मूल्यांकन में व्यापक
सुधार किया जाएगा तथा डिग्री को नौकरी से अलग रखा जाएगा। छोटी-मोटी नौकरियों के
लिए डिग्री का होना आवश्यक नहीं होगा।
योग कार्यक्रम Yoga program
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए
योग शिक्षा (Yoga Education) पर भी विशेष बल दिया जाएगा। सभी प्रकार के विद्यालयों
में
योग शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी
तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में योग शिक्षक और पाठ्यक्रम की भी व्यवस्था
होगी।
मूल्यांकन प्रक्रिया और परीक्षा
में सुधार Evaluation process and exam improvement
परीक्षण निकायों के मार्गदर्शन
के लिए तथा उन्हें सहायता देने के लिए परीक्षा सुधार ढांचा विशेष प्रकार से तैयार
किया जाएगा।
इसमें विशेष परिस्थितियों में एक
ढांचे को अंगीकृत किया जाएगा और परिवर्तित करने की भी स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी।
शिकायतों का निराकरण Redressal
of complaints
राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर
पर नए ढंग से प्रशासनिक न्यायाधिकारों के उपरांत शैक्षिक न्यायाधिकार भी स्थापित
होंगे।
New Education Policy
PDF (NEP) नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 – नई शिक्षा नीति | National education
policy
नेशनल
एजुकेशन पॉलिसी 2020 – नई शिक्षा नीति भी समय की मांग और जरुरत के
हिसाब से देश की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाये रखने के लिए लाई गयी है। शिक्षा
नीति में बदलाव 34 वर्ष बाद हुआ है। इससे
पहले सं०1968 और सं०1986 के बाद ये तीसरी
बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है। नई
शिक्षा नीति का मसौदा इसरो
प्रमुख रह चुके “डॉ० के० कस्तूरीरंगन”
की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। राष्ट्रीय
शिक्षा नीति (NEP) 2020 को प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल
द्वारा मंजूरी मिलने पर इसे लागू कर दिया गया है। नई
शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत में स्कूल और उच्च शिक्षा
प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है। इस नीति के तहत
स्कूल से लेकर कॉलेज शिक्षा नीति तक में बदलाव किया गया है। साथ ही “मानव
संसाधन विकास मंत्रालय” को अब “शिक्षा
मंत्रालय” के नाम से जाना जाएगा
नयी शिक्षा नीति के तहत किये गए बदलाव
आने वाले लगभग दो दशकों को ध्यान में रखकर किये गए हैं। शिक्षा
नीति 2020 में
किये गए सारे बदलाव एक बार में नहीं बल्कि एक के बाद करके अलग अलग चरणों में लागू
किये जाएंगे। इस नीति का मकसद शिक्षा के प्रारूप में बदलाव करके भारत को विकास की
राह पर चला वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है। नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 2020 के तहत सकल नामांकन अनुपात को वर्ष
2030 तक सौ
प्रतिशत (100%) लाने का टारगेट रखा गया है। शिक्षा क्षेत्र पर जी.डी.पी के 6% हिस्से का
सार्वजनिक व्यय भी इस शिक्षा नीति के तहत किया गया है। ये केंद्र और राज्य
सरकार की सहायता से किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के अनुसार अब 5
+3 +3 +4 वाला पैटर्न फॉलो किया जाएगा। अब से
शिक्षा में रटने की बजाए कॉन्सेप्ट समझने पर ज़ोर दिया जाएगा। सिर्फ ज्ञान ही नहीं
उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने की कोशिश रहेगी। कुलमिलाकर
सारा ध्यान छात्रों के सर्वांगीण विकास पर होगा।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से सम्बंधित प्रश्न उत्तर
नयी राष्ट्रीय शिक्षा
नीति 2020 में क्या है ?
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पुरानी
शिक्षा प्रणाली को बदलकर नया पाठ्यक्रम लाया गया है। इसके तहत पिछले 10 +2 के
पाठ्यक्रम को बदलकर 5+3+3+ 4 वाला पाठ्यक्रम किया गया है। नयी नीति के अंतर्गत अब
3 से 18 साल के छात्रों को शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत रखा गया है। नए
पाठ्यक्रम में बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही उनके समग्र विकास पर ध्यान दिया
गया है।
नयी एजुकेशन पालिसी कब
से लागू होगी ?
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी संभवतयः 2021 में लागू
होगी। हालाँकि इस से सम्बंधित किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ये
प्रक्रिया 2021 से अलग अलग चरणों में पूरी की जाएगी।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी
2020 में 5 + 3 + 3 + 4 फॉर्मेट क्या हैं ?
नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 के चार चरण हैं।
फाउंडेशन स्टेज जो 5 वर्षों का होगा (पूर्व प्राथमिक और ग्रेड 1 व 2 )
प्रिपरेटरी स्टेज जो 3 वर्षों का होगा। ( ग्रेड 3 से 5 )
मिडिल स्टेज भी 3 वर्षों का होगा (ग्रेड 6 से 8 तक )
सेकेंडरी स्टेज 4 वर्षों का होगा ( ग्रेड 9 से 12 तक )
नयी एजुकेशन पालिसी में
क्या एक स्ट्रीम के विषयों को लेने की बाध्यता खत्म कर दी गयी है ?
नई एजुकेशन पालिसी में एक ही स्ट्रीम के विषयों
को लेने की बाध्यता को ख़त्म कर दिया गया है। अब छात्र अपनी रूचि के हिसाब से अपने
विषय चुन सकेंगे। साइंस और कॉमर्स के साथ ही आर्ट्स के विषय भी लिए हैं। इसके लिए
शिक्षा नीति के अंतर्गत विभिन्न विषयों का पूल बनाया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
2020 के उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य छात्रों
की रटने की प्रवृत्ति को ख़त्म कर उनके सर्वांगीण विकास को महत्व देना है। इस
पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक सालों के दौरान ही उनमे किसी विषय को
बिना दबाव के समझने और प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
नयी एजुकेशन पालिसी में
बी एड ० तथा एम फिल० से सम्बंधित क्या बदलाव है ?
नयी एजुकेशन पालिसी में एम फिल० के प्रोग्राम को
ख़त्म कर दिया गया है। बी एड० प्रोग्राम की अवधि अब बढ़ा दिया गया है। अब 2 साल की
जगह 4 साल में पूरा किया जा सकेगा।
मल्टीपल एग्जिट और
एंट्री क्या है ?
मल्टीपल एग्जिट और एंट्री छात्रों को मिलने वाली
सुविधा है। इस सुविधा के तहत कोई भी छात्र यदि किसी कारणवश पढाई छोड़ता है तो उसे
पढाई की समयावधि के अनुसार सर्टिफिकेट , डिप्लोमा या फिर डिग्री प्रदान की जाएगी।
साथ ही अगर वो आने वाले समय में अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहे तो ऐसा कर सकता है। इसके
लिए पहले साल से पढ़ने की जरुरत नहीं है।वो अपने बचे हुए कोर्स को ही पूरा कर सकता
है।
प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित प्रावधान
3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक
पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन-
3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये
आँगनवाड़ी/बालवाटिका/प्री-स्कूल (Pre-School) के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और
गुणवत्तापूर्ण ‘प्रारंभिक
बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा’ (Early Childhood Care and Education-
ECCE) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में
कक्षा 1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को
प्राथमिकता दी जाएगी।
NEP में MHRD द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर
एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy)
की स्थापना की मांग की गई है।
राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में
कक्षा-3 तक के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करने
हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी।
शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार
· शिक्षकों की नियुक्ति
में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर लिये गए कार्य-प्रदर्शन
आकलन के आधार पर पदोन्नति।
· राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’
(National Professional Standards for Teachers- NPST) का विकास किया जाएगा।
· राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher
Education-NCFTE) का विकास किया जाएगा।
· वर्ष 2030 तक अध्यापन के
लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का
होना अनिवार्य किया जाएगा।
उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान
· NEP-2020 के तहत उच्च
शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3%
(वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश
के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
· NEP-2020 के तहत स्नातक
पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है,
इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे
और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान
· किया जाएगा (1 वर्ष के
बाद प्रमाणपत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की
डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
· विभिन्न उच्च शिक्षण
संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के
लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा,
जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान
की जा सके।
· नई शिक्षा नीति के
तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।
भारत उच्च शिक्षा आयोग
· चिकित्सा एवं कानूनी
शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के
रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of
India -HECI) का गठन किया जाएगा।
· HECI के कार्यों के
प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण
किया गया है-
· विनियमन हेतु- राष्ट्रीय उच्चतर
शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatory Council- NHERC)
· मानक निर्धारण- सामान्य शिक्षा
परिषद (General Education Council- GEC)
· वित पोषण- उच्चतर शिक्षा
अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council-HEGC)
· प्रत्यायन- राष्ट्रीय
प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC)
· देश में आईआईटी
(IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक
शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ (Multidisciplinary Education and
Research Universities- MERU) की स्थापना की जाएगी।

